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दोस्तों भारत एक ऐसा देश है जहाँ क्रिकेट को एक धर्म माना जाता है। यहाँ ना क्रिकेट देखने वालों की कमी है और ना ही क्रिकेट खेलने वालों की। नीली जर्सी में खेलने का ख्वाब तो हर आँखों में पाया जाता है लेकिन किसी का कारवां घरेलू क्रिकेट तक ही जा पाता है तो किसी को रणजी ट्रोफ़ी खेलने का भी मौका नहीं मिलता। लेकिन अगर आप में टैलेंट है और आपको खुद के ऊपर विश्वास है तो आप का ख्वाब 1 दिन जरूर पूरा होता है।  आज हम एक ऐसे ही नायाब हीरे के बारे में बात करने वाले है। जिसने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की पहली गेंद पर छक्का मारकर देव्यु किया।

अपनी लाजवाब दिलदारी से यह साबित कर दिया कि SKY इस लिमिट्लेस लेकिन चयनकर्ताओं के मिसमैनेजमेंट और लापरवाही के चलते से उनके कैरिअर का सूर्योदय उम्र के उस पड़ाव में हुआ जब सामान्य खिलाड़ी संन्यास लेने का विचार करने लगते हैं। पर जब उन्हें मौका मिला उनका तेज दुनिया के हर कोने में चमका और तो और उनके लिए विराट अपना नंबर 3 स्पॉट छोड़ने को भी राजी हो गए। अब तक तो आप समझ ही गए होंगे की हम भारतीय टीम के चमकते सितारे सूर्यकुमार यादव की बात कर रहे हैं जिन्हें फैन्स प्यार से SKY भी कहते हैं।

सूर्यकुमार यादव का जन्म और प्रारंभिक जीवन

 सूर्य कुमार अशोक यादव का जन्म 14 सितंबर 1990 में मुंबई में हुआ। SKY को बचपन से ही क्रिकेट और बैडमिंटन में काफी रुचि थी। वैसे तो वो उत्तर प्रदेश के वाराणसी से ताल्लुक रखते हैं, लेकिन जब वो छोटे थे तो उनके पिता इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की नौकरी के लिए मुंबई शिफ्ट हो गए।

सूर्यकुमार यादव ने क्रिकेट एकेडमी ज्वाइन की

जब सूर्यकुमार 11 साल के थे तब उनके क्रिकेट के प्रति मोहब्बत को देखकर उनके पिता ने उन्हें शक्तिनगर के क्रिकेट कैंप में एनरोल किया। इसके पश्चात सूर्य ने क्रिकेट अकादमी में दाखिला लिया और वहाँ से उन्होंने मुंबई के लिए एस ग्रुप क्रिकेट खेलना शुरू किया। एस ग्रुप क्रिकेट में लगातार शानदार प्रदर्शन कर रहे थे।

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सूर्यकुमार यादव की क्रिकेट केरियर की शुरुआत

साल 2010 में रणजी ट्रोफ़ी में मुंबई की ओर से खेलते हुए अपना प्रथम श्रेणी करियर में पदार्पण किया और अपने पहले ही मैच में लाजवाब 73 रनों की पारी खेली और अर्धशतक लगाने वाले वे टीम में इकलौते बल्लेबाज थे। बस फिर क्या था यहाँ से उनका आईपीएल सफर भी शुरू हुआ।

रणजी ट्रॉफी मैच

जैसे जैसे समय बीतता गया, सूर्य का कद ऊंचा होता गया। वे लगातार रन बनाते चले गए। 2011-12 रणजी सत्र में उनका बल्ला खूब गरजा और केवल अपने तीसरे मैच में उन्होंने दोहरा शतक जड़ दिया, जबकि अगले मुकाबले में उन्होंने शतक लगाया कि मुंबई की तरफ से सर्वाधिक रन स्कोरर रहे। यही नहीं महज 11 प्रथम श्रेणी मुकाबलों में 1000 रन बनाने वाले SKY को बेस्ट अंदर 20 टू क्रिकेटर्स का खाता भी मिला, जहाँ उन्हें एमए चिदंबरम ट्रोफ़ी से नवाजा गया।

सूर्यकुमार यादव का आईपीएल केरियर

लेकिन उनके आइपीएल करियर की ये पहली बार मुंबई इंडियन्स ने 2011 में उन्हें अपने साथ जोड़ा पर उन्हें कोई मैच खेलने को नहीं मिला।

फिर साल 2012 IPL में केवल एक ही मैच खेलने का मौका मिला जहाँ वे खाता भी नहीं खोल पाए। यह साल भी उनके लिए फीका रहा जहाँ वे छे पारियों में मात्र 73 रन ही बना पाए। लेकिन 2013, 14 रणजी सत्र में मुंबई के टॉप थ्री रन स्कोरर में आने वाले सूर्य ने ये साबित कर दिया कि महज 111 डर नहीं है। 2014 में सूर्य मुंबई रणजी टीम के कप्तान बने, लेकिन आगे चलकर शार्दुल ठाकुर के साथ कुछ नोक झोंक के चलते उन्हें कप्तानी गवाने पर इसी वर्ष IPL में उन्हें कोलकाता नाइट राइडर्स ने

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₹7 लाख में अपने टीम के साथ जुड़ा। अभी तक 3 साल में केवल एक मैच खेलने वाले सूर्या को केकेआर में अधिकतर मध्यक्रम या निचले क्रम में छह सात नंबर पर ही मौका मिलता था। उन्हें केवल 1015 गेंद खेलने को मिलती ना तो उन्हें अधिक समय क्रीज पर बिताने को मिलता और ना ही वो प्लैटफॉर्म जिसके चलते उनका करिअर आगे नहीं जा पाया। अभी कुछ लाजवाब पारी या तो खेलते लेकिन उनके अधिक सराहना होती।

 2015 आईपीएल में उनकी 20 गेंदों पर 46 रनों की लाजवाब पारी ने कोहराम मचा दिया, जिसमें पांच गगनचुंबी छक्के भी शामिल थे। वे केकेआर के उप कप्तान बने और 2017 तक टीम के साथ जुड़े रहें। लेकिन मैं हर सीज़न में 100, 150 रन ही बना पाते। घरेलू क्रिकेट में रन बनाने के बावजूद उन्हें अनदेखा कर दिया गया। क्योंकि भारत में खिलाड़ियों की प्रतिभा को केवल ILP से नापा जाता है और ना ही सूर्य को अधिक मौके मिलते हैं। जिसके चलते उनके करियर की ये 5-6 साल उतार चढ़ाव भरे रहे।

 लेकिन इन सबके बावजूद खराब समय में भी सूर्य ने हार नहीं मानी और खुद पर विश्वास रखा। साल 2018 वो समय था जो SKY के करियर में एक गेंद जिन जिन साबित हुआ उन्हें मुंबई इंडियन्स ने 3.2 करोड़ में अपने साथ जोड़ा। अभी तक दर्शक जीस सूर्य को केवल एक अभरेज खिलाड़ी समझते थे।

सूर्यकुमार यादव का मुलाकात कोच महेला जयवर्धने

 मुंबई इंडियंस के कोच महेला जयवर्धने ने उन पर काफी मेहनत की जिससे सोने को कुंदन बनाने के लिए आग में तपना पड़ता है। ठीक वैसे ही सूर्य ने और कठिन परिश्रम करते हुए सब कुछ नए सिरे से शुरू किया जहाँ सबसे पहले उन्होंने अपनी फिटनेस पर काम करते हुए वजन कम किया जाते। अपने स्किल अपने गेम में भी काफी सुधार किया है। पहले अधिकतर पेस का इस्तेमाल कर विकेट के पीछे शॉट्स खेलते थे। वहीं अब उन्होंने अपनी रेंज बढ़ाई। अवेयर ना केवल सामने शॉट्स खेलते बल्कि ये 363 शॉट्स खेलने लगे और ऑफ साइड कितनी कमजोरी को अपनी सबसे बड़ी ताकत बनाया। मुंबई इंडियंस के मैनेजमेंट और रोहित शर्मा ने पहले दो मुकाबलों के बाद सूर्य को बतौर सलामी बल्लेबाज खिलाया और यहाँ से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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आईपीएल 2018

2018 आईपीएल में स्काई ने पहली बार 512 रन बनाए। वो मुंबई के टॉप स्कोरर रहे। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि वे हमेशा से ही यूनीक एक अलग खिलाड़ी बनना चाहते थे। अलग अलग इनोवेशन शॉट्स खेलना चाहते हैं। वे केवल एक डाइमेंशनल खिलाड़ी ना बनकर 360 डिग्री मैदान के चारों ओर मतलब बनाना चाहते हैं। ये बात सच होने लगी।

 

ऐसा कोई शॉट नहीं जो सूर्य खेल न सके। अब उनकी बल्लेबाजी में वो पैनापन हुआ, आत्मविश्वास देखने को मिला। वह आत्मविश्वास देखने को मिला।

वो कहते है ना फिक्र करता है, क्यों फिक्र से होता है? क्या आजकल खुद पर भरोसा फिर कल देख होता है?

देवधर ट्रोफ़ी 2018-19

 क्या उनका कठोर परिश्रम रंग लाया और उनका नाम 2018-19 में होने वाले देवधर ट्रोफ़ी में भी इंडिया सिटी में हुआ। अब इसका एक ऐसे बल्लेबाज बन चूके थे जो किसी भी नंबर पर बल्लेबाजी कर सकता है। 2019 आइफल से सूर्य मुंबई इंडियन्स के नंबर तीन के बल्लेबाज बन गए।

सूर्यकुमार यादव इंटरनैशनल क्रिकेट (surykumar yadav international cricket career)

 मुंबई के लिए उन्होंने 424 रन बनाए और उसका एक नामी खिलाड़ी बन चूके थे। उनके भारतीय टीम में चयन की बात कई बार होती हैं, लेकिन उन्हें मौका नहीं मिल रहा था। हद तो तब हो गई जब 2020 का IPL में 145 की स्ट्राइक रेट और 40 की औसत से रन बनाने के बावजूद उनका नाम और ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर नहीं आया, जिससे सूर्य काफी निराश हुए। लगातार  4-5 साल से परफॉर्म करने के बावजूद भारतीय टीम में ना खेलने पर हुए काफी दुखी थे। इसमें एक टेलेन्टेड बल्लेबाज़ के करियर का महत्वपूर्ण समय बर्बाद कर दिया।

मगध साम्राज्य का इतिहास

 सूर्य ने अपने बल्ले से जवाब देते हुए मैं जीता हूँ। रन बनाकर शाहरुख खान के अंदाज में सेलिब्रेट किया, जिसके लिए मैच हमेशा याद रखा जाता है। उनकी ये पारी मानो चयनकर्ताओं के मुँह पर एक जोरदार तमाचा स्क्वायर चुने जाने के अगले ही दिन मुंबई इंडियंस और आरसीबी का मुकाबला था।

मैच उस वक्त गर्मागर्मी तक जा पहुंचा, जब विराट सूर्य को करते दिखे। यदि कोई दूसरा खिलाड़ी होता लेकिन आखिरकार 2021 में इंग्लैंड के खिलाफ़ होने वाले टी 20 और एकदिवसीय श्रृंखला में सूर्य का नाम आया और वो दिन आ ही गया के खिलाफ़ दूसरे टी 20 में उनका पदार्पण हुआ। उन्हें बल्लेबाजी करने का मौका नहीं मिला और अगले मुकाबले में उन्हें बाहर बिठा दिया गया। इसके बाद चौथे मुकाबले में अपनी पहली गेंद खेल रहे है।

जोफ्रा आर्चर के 144 की गति की गेंद को छक्का मारकर ये साबित कर दिया। मैं किसी भी गेंद को कहीं भी मार सकते हैं। वैसा कारनामा करने वाले पहले खिलाड़ी भी बने। 57 रन की लाजवाब पारी खेल वे मान ऑफ द मैच बने, जिसके बाद विराट कोहली ने ये तक कह दिया की ये सूर्य को अपने नंबर तीन पोज़ीशन देने तक को भी तैयार हैं। इसी बस उन्हें श्रीलंका के खिलाफ़ एकदिवसीय में पदार्पण करने का मौका मिला और अपनी पहली सीरीज में मैन ऑफ द सीरीज है। हालांकि कई बार उनका टेस्ट स्क्वॉड में भी चैन हुआ, लेकिन अभी तक उन्हें डेब्यू करने का मौका नहीं मिला।

एक अभिन्न अंग बन गए और उनका चयन 2021 टी 20 विश्व कप में भी हुआ। इसके बाद वेस्टइंडीज़ के खिलाफ़ टी 20 श्रृंखला में मैन ऑफ द सीरीज रहे। 2022 में भी उनका शानदार फॉर्म जारी रहा। हालांकि मैं केवल खेल पाए इसके बाद वो चोटिल हो गए। अभी कुछ समय पहले इंग्लैंड के खिलाफ़ तीसरे में 216 रनों का पीछा करते हुए जब भारत में केवल 30 रन पर तीन विकेट खो दिए तो किसी ने सोचा भी नहीं था कि भारत लक्ष्य के करीब आ पाएगी, लेकिन सूर्य की लाजवाब 117 रनों की पारी ने सबका दिल जीत लिया। भले ही भारत 17 रनों से मैच हार गया, लेकिन सूर्य सबके दिलों में छा गए।

 सुंदर पिचाई की जीवनी परिचय

सभी वेस्ट इंडीज के खिलाफ़ तीसरे मुकाबले में बतौर ओपनर खेल रहा है। स्काई ने रोहित शर्मा के रिटायर्ड हर्ट होते ही कमाल की रन की पारी खेली, जिससे भारत आसानी से मैच जीत गया। 200 चाहे सूर्यकुमार यादव ने भारत के लिए अभी तक सिर्फ 13 एकदिवसीय और 20 मुकाबले खेले हों लेकिन उनकी बल्लेबाज़ी लाजवाब रही। इस कॉन्फिडेन्स से वो खेलते है। इससे निश्चित ही भारत की नंबर चार की समस्या भी हल हो गई। सूर्य का टी 20 में 176 का स्ट्राइक रेट भी किसी भी खिलाड़ी द्वारा सर्वाधिक है। सूर्य को 30 की आयु में बड़े मंच पर आने का मौका मिला।अपनी सफलता का श्रेय अपने सबसे करीबी रोहित शर्मा को मानते हैं, जिन्होंने उन्हें शुरू से देखा और खराब समय में भी हमेशा एक बड़े भाई की तरह प्रेरित किया। ये कहना गलत नहीं होगा कि सबसे पहले व्यक्ति रो ही थे, जिन्होंने सूर्या के टैलेंट को पहचाना और 2011 में ही ट्वीट कर दिया था। जो की आज कल काफी वायरल है और सच भी हो रहा है तो 200 ये थी कहानी इस वक्त विश्व के महान बल्लेबाजों में शुमार सूर्यकुमार यादव की, जिन्होंने ये साबित कर दिया की कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। आप कभी भी शुरुआत कर सकते हैं, कभी भी देर नहीं होती।

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